मैंने माहवारी पर चुप्पी टूटते देखी है

by | Apr 18, 2017

The original article authored by Pooja Singh, was featured in Youth Ki Awaaz (https://goo.gl/1XjGc4)  on January 11, 2017.

जब मुझे पता चला कि मैं माहवारी(पीरियड्स) से जुड़ी कार्यशाला में भाग लूँगी तो मैं बहुत उत्साहित थी और बहुत ही प्रेरणा के साथ दिन की शुरुआत करने के लिए तैयार थी। आज एक बार फिर  मौका मिला है मुझे Project KHEL के Red Spot  कार्यशाला में भाग लेने का, लेकिन इस बार एक सहायक फैसिलिटेटर की तरह | Red Spot, Project KHEL द्वारा आरम्भ की गयी एक समावेशी पहल कार्यशाला है जो पारस्परिक संवादात्मक माध्यमों से किशोरियों और महिलाओं को मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में बारें में जागरूक और सशक्त बनाती है |

हम सब सर्दी की बर्फीली ठण्ड में लखनऊ से मीलों दूर स्थित सैदनपुर गाँव की महिलाओं के साथ कार्यशाला करने के लिए निकल पड़ें। जैसे-जैसे सैदनपुर की महिलाओं के साथ हमारी बातचीत बढ़ती गयी उनके साथ हमारा एक अच्छा रिश्ता बन गया। शुरुआत तो आपस में खुस फुस के साथ हुई क्योंकि मेरे ख्याल से वो पहली बार किसी के सामने इतना खुलकर माहवारी के बारे में बात कर रही थी। उनको वो स्थान मिल पा रहा था जहां पर वो अपने प्रश्नों को बिना किसी डर के पूछ पाएं।

लेकिन कुछ समय बाद ही यह दिखने लगा कि कैसे हम खुले तौर पर बातचीत करके, परस्पर संवाद के सहारे, खेल और मज़ेदार गीत के माध्यम से उनको जानकारी लेने के लिए स्थान दे रहे हैं। इसके साथ ही साथ जैसे जैसे सत्र बढ़ता जा रहा था बहुत ही दयनीय विचार भी साझा हुए। वहां पर आज भी बहुत सी माताएं अपने जननागों के बालों को साफ़ करने के लिए उनको नोच कर उखाड़ देती हैं या गर्म राख़ से जला देती हैं क्योंकि उनको पता ही नहीं है कि ऐसा करने से उनके साथ क्या क्या परेशानियाँ हो सकती हैं।

कुछ कुछ तो ऐसी बातें हैं जिनका कोई तर्क ही नही है, जैसे कि माहवारी के दौरान पुरुषों से दूर रहना चाहिए, उनसे बात नहीं करनी चाहिए, माहवारी के दौरान बाल नहीं धोने चाहिए नहीं तो हमारे हिस्से का होने वाला बच्चा किसी और के गोद में चला जायेगा, अचार नहीं छुना चाहिए नहीं तो अचार ख़राब हो जायेगा, पूजन स्थल पर नहीं जाना चाहिए आदि। इस प्रकार के अनुभव हम सबको और भी प्रेरित कर रहे थे कि हम सब और कितने समर्पण के साथ बता पाएं जिससे कि वे पुरानी रुढियों और दकियानूसी बातों के बारे में सोच सकें और निर्णय ले सकें कि इस सब बातों और विचारो का अब कोई मूल्य नहीं है। सभी किसी न किसी रुढ़िवादी विचारों से जुड़े हुए हैं और न ही उन्होंने इसके बारे में कभी किसी से कुछ बोला और न ही कभी किसी ने उनकी परेशानी सुनी। वे आज तक वही करती आ रही थी जो उनको उनके बड़े बूढों ने बताया था।

एक बहुत ही दिल को छू जाने वाला अनुभव हुआ। जब हम सब पुरानी रुढ़ियों के बारे में चर्चा कर रहे थे और जब सभी लोगों को ये बात समझ में आ रही थी कि आज भी हम बिना तर्क की बातों में फंसे हुए हैं तभी ज्यादातर माताएं कहने लगी कि चलो अभी तक हमें ये सब जानकारी नहीं थी तो हम सब करते आये है लेकिन अब हम अपनी बहू बेटियों के साथ नहीं होने देंगे और उनको वे सारी जानकारी देंगे जो आज उनको हमसे मिली हैं।

एक बहुत ही व्यक्तिगत अनुभव हुआ जब भी माताओं को आपस में बात करने का समय मिल पा रहा था तो वो इतनी तल्लीन होकर अपने अनुभव और शंकाएं बांट रही थी कि मुझे कुछ बिन्दुओं पर समझ नहीं आ रहा था कि उनको कैसे चुप कराएँ जिससे वो बाकी जानकारी भी ले सकें और उनको देखकर भी इतना अच्छा लग रहा था कि कुछ समय के लिए मन ही नहीं मान रहा था कि उनको चुप कराएं।

माहवारी स्वच्छता के ज्ञान में वृद्धि बहुत ही उपयोगी और जरुरी है। उचित सलाह और ज्ञान की कमी के कारण आज भी कई युवा लड़कियों और माताओं के बीच अपनी शारीरिक प्रक्रिया और स्वच्छ प्रथाओं का पालन किये जाने के महत्व की कमी है। जब हमें आपने आस-पास के लोगों के अनुभवों से पता चलता है कि लड़कियों और महिलाओं के अपने दैनिक जीवन में लाखों प्रतिबंध सिर्फ इसलिए है क्योंकि उन्हें माहवारी हो रही है तो यह स्थिति बहुत ही सोचनीय और दयनीय लगती है।

आज हम सबको जरुरत है कि हम खुले तौर पर माहवारी के बारे में चर्चा करें और इस सब में Project KHEL संस्था बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। मुझे आज भी याद है मैंने Project KHEL के Red spot कार्यशाला में भाग लेने के बाद पहली बार अपने शेल्टर होम में साथ रहने वाली लड़कियों के साथ माहवारी के बारे में बात किया था। हम सबको महसूस हुआ था कि माहवारी के बारें में चर्चा करना और स्वच्छता प्रबंध के बारे जानना कितना जरुरी है। मैं खुद भी व्यक्तिगत रूप से यह महसूस करती हूं कि क्योंकि बहुत समय तक मेरे लिए भी माहवारी एक गंदी और अशुद्ध प्रक्रिया थी | लेकिन मैं आज खुद इस बारें में खुल कर सिर्फ इसलिए बात कर पा रही हूँ क्योंकि मैं इससे जुडी कार्यशाला में भाग लेकर तथा लोगों से उनके अनुभव जानकर ये मान पायी हूँ कि कितना ज़रुरी है कि हम सबको माहवारी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी हो।